Friday, February 09, 2018

घर

(hindi: ghar / home)

घर वहां, जहां
साथ हो अपनो का,
ख्वाब हो अपना सा,
मन्नतें हों अपनों की
और सल्तनत प्यार की।
चार दीवार,
बगीचे, फौव्वार,
या झोपड़ पट्टी
गलियों के पार,
ये तो सिर्फ मकान हैं।
उड़ते चिड़ियों का घर आसमान है,
परिंदे की उड़ान उसकी शान है,
खोकले घोसलों में कहां प्राण है?
जहां मन भाये-
आलीशान है!
कमरे हज़ार,
में करे कोई विहार,
अगर चैन की नींद,
एक में भी न मिले,
तो सुकून कहाँ है?
जहाँ तन की थकान घटे,
मन के वहम मिटे,
एक दूसरे का सम्मान दिखे,
सुख, दुःख और बलिदान बाटे,
वही घर, वही आन है।
घर वहां, जहां
साथ हो अपनो का,
ख्वाब हो अपना सा,
मन्नतें हों अपनों की
और सल्तनत प्यार की।

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